मैं समंदर-सी गहरी हूँ, ख्व़ाब लहरों-से रखती हूँ, गर कोई चाहे रोकना मुझको, फिर भी अपनी मस्ती में बहती हूँ, हाँ, मैं समंदर-सी गहरी हूँ।
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इस नए साल की शुरुआत नए नज़रीए से करते हैं।
जो बीत गई वो बातें वही छोड़ कर चलते हैं, जो छोड़ गए, उनकी तरह हम भी आगे बढ़ते हैं। नई खुशियों के लिए अपना दामन खाली करते हैं, आओ, इस नए साल की शुरुआत नए नज़रीए से करते हैं।