स्वतंत्रता(Thoughtful) - Poem by Ana Pearl - Spenowr
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Ana Pearl

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स्वतंत्रता

फिर आया पंद्रह अगस्त का दिन, माँ की आँखों में उम्मीदों की रौनक— आसमान में तिरंगा, गर्व से लहराता, धरती पर उमंग और उत्साह की बौछार; हर कोने में "वंदेमातरम्" की गूंज जुलूसों का रेला, नारों की धुन देशभक्ति के रंग में रंगे दिल अब सिर्फ स्टैटस म
By: ©Ana Pearl
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स्वतंत्रता -Poem

फिर आया पंद्रह अगस्त का दिन, माँ की आँखों में उम्मीदों की रौनक— आसमान में तिरंगा, गर्व से लहराता, धरती पर उमंग और उत्साह की बौछार; हर कोने में "वंदेमातरम्" की गूंज जुलूसों का रेला, नारों की धुन देशभक्ति के रंग में रंगे दिल अब सिर्फ स्टैटस म

came on the 15th of August hope rose in mother s eyes the tricolor fluttering with pride splashing with pride and enthusiasm on the earth the echoes of Vandemataram in every corner of the procession the melody of slogans and hearts painted in the color of patriotism. Now the hearts are painted in the color of patriotism.

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