भारत तीर्थ (Wisdom) - Poem by Satyam Kushwaha - Spenowr
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Satyam Kushwaha

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भारत तीर्थ

अग्निवेग का पवित्र प्रवाह हूँ अग्निदेव को समर्पित स्वाहा हूँ विश्वरूप का अविनाशी स्वरूप हूँ विश्वात्मा का अविचल प्रतिरूप हूँ चैतन्य मनुष्य का प्रारब्ध हूँ दैवीय मर्यादा से आबद्ध हूँ पूर्ण हूँ, सम्पूर्ण हूँ पारमेश्वर्य विहिन शूण्य हूँ
By: ©Satyam Kushwaha
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भारत तीर्थ -Poem

अग्निवेग का पवित्र प्रवाह हूँ अग्निदेव को समर्पित स्वाहा हूँ विश्वरूप का अविनाशी स्वरूप हूँ विश्वात्मा का अविचल प्रतिरूप हूँ चैतन्य मनुष्य का प्रारब्ध हूँ दैवीय मर्यादा से आबद्ध हूँ पूर्ण हूँ, सम्पूर्ण हूँ पारमेश्वर्य विहिन शूण्य हूँ

I am the sacred flow of Niveg I am dedicated to Agnidev I am an incorruptible form of Vishwaroop I am an inexhaustible image of faith I am bound by divine dignity. I am complete. I am complete without Parmeshwarya.

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