भारत तीर्थ -Poem
अग्निवेग का पवित्र प्रवाह हूँ अग्निदेव को समर्पित स्वाहा हूँ विश्वरूप का अविनाशी स्वरूप हूँ विश्वात्मा का अविचल प्रतिरूप हूँ चैतन्य मनुष्य का प्रारब्ध हूँ दैवीय मर्यादा से आबद्ध हूँ पूर्ण हूँ, सम्पूर्ण हूँ पारमेश्वर्य विहिन शूण्य हूँ
I am the sacred flow of Niveg I am dedicated to Agnidev I am an incorruptible form of Vishwaroop I am an inexhaustible image of faith I am bound by divine dignity. I am complete. I am complete without Parmeshwarya.