सपना (Inspirational) - Poem by Akshita Arora - Spenowr
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Akshita Arora

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सपना

सपनो की कश्ती में सवार था मैं मंज़िल तक पहुँचने को बेकरार था मैं दुनिया की बातों ने मेरी दुनिया को तोड़ा बीच भंवर में उस नाँव को छोड़ा अपना आईना मैंने इन्ही हाथो से तोड़ा वो सपना जानता नही था कि दुनिया कैसी थी उसकी तो ज़िंदगी मुस्कुराहट जैसी थी कुचलना तो दुनिया की फितरत थी पर वो जानते नही थे की उड़ना उसकी किस्मत थी
By: ©Akshita Arora
www.spenowr.com
सपना -Poem

सपनो की कश्ती में सवार था मैं मंज़िल तक पहुँचने को बेकरार था मैं दुनिया की बातों ने मेरी दुनिया को तोड़ा बीच भंवर में उस नाँव को छोड़ा अपना आईना मैंने इन्ही हाथो से तोड़ा वो सपना जानता नही था कि दुनिया कैसी थी उसकी तो ज़िंदगी मुस्कुराहट जैसी थी कुचलना तो दुनिया की फितरत थी पर वो जानते नही थे की उड़ना उसकी किस्मत थी



  • 2022-08-30 11:14:33
    Relatable ????????

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