"एक सफ़र.."(Motivational) - Poem by Diwakar Mathur - Spenowr
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Diwakar Mathur

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"एक सफ़र.."

मैं चलता गया उस पथ पर, जहां पुष्प नहीं कांटे थे, पर उनको मैं मित्र बना, पथ पर मैं अग्रसर हुआ, लक्ष्य तक मैं भी पहुंच गया, उस दिन यह एहसास हुआ, वो कांटे ही थे जिससे मेरे, पग कभी स्थिर न हुए, वरना पुष्प की खुशबू से, स्थिर वहीं मैं हो जाता।
By: ©Diwakar Mathur
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"एक सफ़र.." -Poem

मैं चलता गया उस पथ पर, जहां पुष्प नहीं कांटे थे, पर उनको मैं मित्र बना, पथ पर मैं अग्रसर हुआ, लक्ष्य तक मैं भी पहुंच गया, उस दिन यह एहसास हुआ, वो कांटे ही थे जिससे मेरे, पग कभी स्थिर न हुए, वरना पुष्प की खुशबू से, स्थिर वहीं मैं हो जाता।

I walked on the path where there were no thorns but I made friends with him I moved forward on the path I also reached the goal. That day I realized that they were thorns so that my legs never stood still otherwise I would have been stable with the fragrance of flowers.

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