एक खुबसूरत पल (Life) - Poem by Jeetal Shah - Spenowr
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Jeetal Shah

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एक खुबसूरत पल

गुमसुम सी खोई मैं थी कोने में बैठी हुई, मीठी मधुर झंकार गूंजी मेरे कानों में, ध्यान खींचा मेरा उस कोने में, जाकर देखा तो, एक विंड चाइम्स बंधा हुआ था मेरी उस खिड़की पर, चिड़िया की चहक सी गुंजी, दिल में इतना प्यार लिए, जाने किसने बांधा ऐसा ये प्यारा तोहफा, विंड चाइम्स पर तस्वीर उन बीते हुए लम्हों की, जो पिछली दिवाली पर बिताए थे एक अनाथालय में, खिल खिला उठा मेरा चहेरा जब देखी, मुस्कुराते हुए उन बच्चों की तस्वीर, वाह! क्या किस्मत थी मैंने पाई? कि बदल गई थी उन बच्चों की तकदीर।
By: ©Jeetal Shah
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एक खुबसूरत पल -Poem

गुमसुम सी खोई मैं थी कोने में बैठी हुई, मीठी मधुर झंकार गूंजी मेरे कानों में, ध्यान खींचा मेरा उस कोने में, जाकर देखा तो, एक विंड चाइम्स बंधा हुआ था मेरी उस खिड़की पर, चिड़िया की चहक सी गुंजी, दिल में इतना प्यार लिए, जाने किसने बांधा ऐसा ये प्यारा तोहफा, विंड चाइम्स पर तस्वीर उन बीते हुए लम्हों की, जो पिछली दिवाली पर बिताए थे एक अनाथालय में, खिल खिला उठा मेरा चहेरा जब देखी, मुस्कुराते हुए उन बच्चों की तस्वीर, वाह! क्या किस्मत थी मैंने पाई? कि बदल गई थी उन बच्चों की तकदीर।



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