अंजान किस्सा...!(Life) - Poem by Vaibhav Yadav - Spenowr
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Vaibhav Yadav

Individual Artist

Writer, Musician

Uttar Pradesh, India

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अंजान किस्सा...!

शब्द बयान नहीं हो रहे, तुम अंतर नापे जा रहे हो, एक किस्सा अधूरा रह गया, तुम नए बनाए जा रहे हो, बातें व्यर्थ लगे मेरी, तुम खुद किए जा रहे हो, एक दफा गौर करो, जज्बातों पर, तुम आगे भड़े जा रहे हो.....!
By: ©Vaibhav Yadav
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अंजान किस्सा...! -Poem

शब्द बयान नहीं हो रहे, तुम अंतर नापे जा रहे हो, एक किस्सा अधूरा रह गया, तुम नए बनाए जा रहे हो, बातें व्यर्थ लगे मेरी, तुम खुद किए जा रहे हो, एक दफा गौर करो, जज्बातों पर, तुम आगे भड़े जा रहे हो.....!



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