शायरीया -Poem
शायरीया सुनकर दिल बहलता कुछ अपनो की यादें ताजा कराती और एक बात कभी उसे अपना बनाने की बात होती और सोचता ही रहता हू में तो एक अजनबी हू कहा रात में तस्वीर देखी तो आँसुओ का सैलाब बन गया आज फिर शायरीया पड़ते जाऊँगा अपनो की यादें जो बुलाती - आदेश