मोहब्बत (Love) - Poem by Garima Mishra - Spenowr
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Garima Mishra

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मोहब्बत

वो दिखे तो सजदे में सर झुका हर दुआ में नाम उसका पढ़ लूंगी इश्क़ की बात छिड़े, तो बात उसकी कहके महफिलों में हमारे किस्से सरेआम कर लूंगी वो मेरा है, वो मेरा है कहने से पहले मैं उसकी होकर ख़ुद को बदनाम कर लूंगी हर गीत, हर ग़ज़ल, हर शायरी मेरी, उसकी होगी मैं अपनी धड़कनें तो क्या, अब सांसें भी उसके नाम कर दूंगी।।
By: ©Garima Mishra
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मोहब्बत -Poem

वो दिखे तो सजदे में सर झुका हर दुआ में नाम उसका पढ़ लूंगी इश्क़ की बात छिड़े, तो बात उसकी कहके महफिलों में हमारे किस्से सरेआम कर लूंगी वो मेरा है, वो मेरा है कहने से पहले मैं उसकी होकर ख़ुद को बदनाम कर लूंगी हर गीत, हर ग़ज़ल, हर शायरी मेरी, उसकी होगी मैं अपनी धड़कनें तो क्या, अब सांसें भी उसके नाम कर दूंगी।।



  • 2023-01-05 11:03:34
    Nice one

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