खुशी(Happiness) - Poem by Madhu Nigam - Spenowr
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Madhu Nigam

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खुशी

चमन की हर खुशी मेरी ज़माने का मिला है सुख तेरी लीला भी न्यारी है तू अपरंपार है हे ईश ना सोचा था कि देखूंगी जमीन पर स्वर्ग सा समाँ उठाऊँ बोझ मे॔ कैसे मिली है॔ आजइतनी खुशियाँ था एक जमाना जब सोचा था यह दुनियाँ है एक फँसाना आकांक्षाओ
By: ©Madhu Nigam
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खुशी -Poem

चमन की हर खुशी मेरी ज़माने का मिला है सुख तेरी लीला भी न्यारी है तू अपरंपार है हे ईश ना सोचा था कि देखूंगी जमीन पर स्वर्ग सा समाँ उठाऊँ बोझ मे॔ कैसे मिली है॔ आजइतनी खुशियाँ था एक जमाना जब सोचा था यह दुनियाँ है एक फँसाना आकांक्षाओ

\nChaman ki har khushi meri\nHave you got happiness of the time\nTeri Leela Bhi Nyari Hai\nYou are unparalleled hey ish\n Didn t think I would see\n As a paradise on earth\n How do I carry the burden\n Got so much happiness today\nThere was a time when I thought\nYe Duniyan Hai Ek Fasana\nAakankshao

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