माँ(Love) - Poem by Shrashti Joshi - Spenowr
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Shrashti Joshi

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माँ

दुनिया में लाती वो है, दुनिया दिखाती वो है, तकलीफ़ में होती वो है, पर हमें हंसाती वो है, जो आँसुओ को हस्सी में बदल देती, जो हमारी छोटी सी चोट पर घबरा कर अपनी महंगी साड़ी का आँचल फाड़ देती, जिसके ना होने से ज़िंदगी वीरान होती है, हर रंग बेरंग लगता है, जो हमेशा दिल में बसाके रखती है, जिसके बिना साँसें रुक जाति है, वो सिर्फ़ माँ होती है
By: ©Shrashti Joshi
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माँ -Poem

दुनिया में लाती वो है, दुनिया दिखाती वो है, तकलीफ़ में होती वो है, पर हमें हंसाती वो है, जो आँसुओ को हस्सी में बदल देती, जो हमारी छोटी सी चोट पर घबरा कर अपनी महंगी साड़ी का आँचल फाड़ देती, जिसके ना होने से ज़िंदगी वीरान होती है, हर रंग बेरंग लगता है, जो हमेशा दिल में बसाके रखती है, जिसके बिना साँसें रुक जाति है, वो सिर्फ़ माँ होती है



  • 2022-08-30 02:33:50
    Beautiful poem

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