शहीद भगत सिंह -Poem
आया था वो चीर धरा को लिए अनेकों सपने, मानी न कोई जाति ,धर्म कह दिया ,हो मेरे अपने | खाकर कसम भारत माता की लिया यही संकल्प, कि खुद भागेंगे गोरे न छोड़ूंगा कोई विकल्प| कर जवानी,देश हवाले खुद को झोंका ऐसा, किया आंदोलन,भड़क उठी जनता में
had made many dreams about him he believed no caste or religion or religion. After eating it he swore to Mother India that he would run away I would not leave any choice. Do this by throwing yourself over youth and country this agitation arose in the public.