सीमा पर तैनात जवान -Poem
आस अमन की लिए हृदय में सीमा पर तैनात जवान सजग सटीक निगाहें ढूँढे जंग के छिड़ने का अनुमान शियाचिन की बर्फ हाथ हो या हो रेगिस्तानी थार पेड़ नुकीले,झाड़ कटीले खड़ी करे मुश्किल हर बार पर राह ढूंढते, ध्वजा चूमते भारत माँ पर करके अभिमान आस अमन की लिए हृदय में सीमा पर तैनात जवान दूर घर से हुए,तो क्या ? धुंधली सी तकदीर,तो क्या ? इस जमीं की पाक मिट्टी साथ तो है आब-ओ-दाना इस वतन का साथ तो है फिर काहे का डर अपना ही घर चाहता कतरा लहू भर मिट्टी में मिल, मिट उगेंगे ओर अरि की ले बढ़ेंगे जीत का अरमान आस अमन की लिए हृदय में सीमा पर तैनात जवान जब जिये तो, देश का सरताज बनकर जब मरे तो, अमर ज्योत आहूति देकर रच गए इतिहास जो गर्वित करेगा आने वाले पथ को प्रकाशित करेगा शांत सागर समझने की भूल ना कर नापाक इरादों की कोशिश को धूल ना कर आगे आओ,हम पछाड़े,पीछे ताड़े हाथ दो-दो कर के देखों,बहुत हुआ सम्मान आस अमन की लिए हृदय में सीमा पर तैनात जवान खबर आई आशियाने का अग्रज एक खो गया सिंह सा झपटा, लिपट फिर जा तिरंगे सो गया महक फैली खेतों में गन्ने की गेंहू –धान की महक माँ के हाथों से डाले हुए मिष्ठान की महक उनमें ढूंढ लेना मिट्टी बने इंसान की रुख कर चुके, हम तो हकीकत की तरफ तुम बाँच लो, इतिहास का एक-एक हरफ़ एक जैसे फूलों का बगीचा, बस है मिथ्याज्ञान आस अमन की लिए हृदय में सीमा पर तैनात जवान॥