स्वतंत्रता(Motivational) - Poem by Aparna Shrivastava - Spenowr
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Aparna Shrivastava

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स्वतंत्रता

स्वतंत्रता के स्वर में मां भारती पुकारती, खून से रंगीन शहीदों की है आरती। रूके नहीं, झुके नहीं, तिरंगे की शान पर मर मिटे ये भारतीय। तुम वीर हो,धीर हो, गंभीर हो! गीत वसुंधरा के, समृद्धि तुम्हारे हाथ है। तुम कहार की तरह उठाओ स्वतंत्रता की पालकी।
By: ©Aparna Shrivastava
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स्वतंत्रता -Poem

स्वतंत्रता के स्वर में मां भारती पुकारती, खून से रंगीन शहीदों की है आरती। रूके नहीं, झुके नहीं, तिरंगे की शान पर मर मिटे ये भारतीय। तुम वीर हो,धीर हो, गंभीर हो! गीत वसुंधरा के, समृद्धि तुम्हारे हाथ है। तुम कहार की तरह उठाओ स्वतंत्रता की पालकी।

calls Mother Bharati in the voice of freedom. There is a blood-coloured aarti of martyrs. Did not stop did not bow down these Indians died on the glory of the tricolor. You are brave patient serious! Song of Vasundhara prosperity is in your hands. Pick up the palanquin of freedom like a kahar.

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