पिता का साया -Poem
18 जुलाई की रात थी लाई तूफान अपने साथ थी| आंखों में आंसुओं का सैलाब था| घर में सिर्फ मेरे आया यह तूफान था| बिखर गया हंसता खेलता परिवार हमारा| जब उठा सर पर से पिता का साया|
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, Illustrator, Painter
Uttar Pradesh, India
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18 जुलाई की रात थी लाई तूफान अपने साथ थी| आंखों में आंसुओं का सैलाब था| घर में सिर्फ मेरे आया यह तूफान था| बिखर गया हंसता खेलता परिवार हमारा| जब उठा सर पर से पिता का साया|