Papa (Life) - Poem by Nilesh Tripathi - Spenowr
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Nilesh Tripathi

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Papa

पापा ने एक बार भी नहीं रोका ,जब उनकी दौलत हम फिजूल खर्ची में उड़ाने लगे । एक मनपसंद मिठाई भी न खा पाये, जब हम कमाने लगे ...!!
By: ©Nilesh Tripathi
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Papa -Poem

पापा ने एक बार भी नहीं रोका ,जब उनकी दौलत हम फिजूल खर्ची में उड़ाने लगे । एक मनपसंद मिठाई भी न खा पाये, जब हम कमाने लगे ...!!



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