Papa -Poem
पापा ने एक बार भी नहीं रोका ,जब उनकी दौलत हम फिजूल खर्ची में उड़ाने लगे । एक मनपसंद मिठाई भी न खा पाये, जब हम कमाने लगे ...!!
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पापा ने एक बार भी नहीं रोका ,जब उनकी दौलत हम फिजूल खर्ची में उड़ाने लगे । एक मनपसंद मिठाई भी न खा पाये, जब हम कमाने लगे ...!!