कुछ कहता है कवि मन, घनघोर घटाएं छाई नभ में, अश्रुधारा में पिघला है तन, मन से पांखें निकली है, किरणों में रहता कवि मन। छिटककर तितली किरणों से ही????, बागों में जा मिलती है, कण कण में जो फूल खिले तो, उड
हौसला जब मिलता है दूर तक फूल खिलता है कांटे को फेंक देने का हर तूल यहां मिलता है। मुस्कान दिल से आती है ख़्वाहिशों में लगन लग जाती है शामो शहर बनते हैं सरीखे आसमां को चांद मिलता है। हौसला जब मिलता है