बिगड़े हुए लोग -Poem
लोग अक्सर उन्हें बिगड़ा हुआ ही कहते है जो अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जीते है जिन्हे नही आता इस दुनिया की बंदिशों में रहना वो जो लोग बेफिक्र अपने पंख फहरा के उड़ना जानते है लोग अक्सर उन्हें बिगड़ा हुआ ही कहते है वो जो जिंदगी जीना जानते है अपने लिए वक्त निकालना जानते है जो इश्क करना जानते है दोस्ती निभाना आता है जिन्हे जो सोचते नही कुछ करने से पहले लोग अक्सर उन्हें बिगड़ा हुआ ही कहते है जो सिर्फ सपने देखते नही उन्हें पूरा भी करते है जो नही सोचते की समाज क्या सोचेगा जो अपने लिए जीते है वो नही सोचते ये दुनिया क्या सोचेगी वो बस जीना चाहते है लोग अक्सर उन्हें बिगड़ा हुआ ही कहते है वो ख्वाइश रखते है आसमान छूने की उन्हें गिर के उठना आता है वो नही डरते किसी के सामने कुछ बोलने से उन्हें गलत को गलत और सही को सही कहना आता है वो सुनते है तो बस अपने दिल की सच बताओ तो वो लोग बिगड़े हुए नही होते उन्हें बस जिंदगी जीनी आती है वो आजाद होते है इस समाज की बातो से परेशानियों से लड़ जातें है हर वो चीज करना जानते है जो वो करना चाहते वो अपने जीवन को नियमों के बंधन में बंधना नही जानते है वो डरते नही कुछ करने से, कहने से , या इस समाज की बातो से, उन्हें खुद के लिए लड़ना आता है और लोग अक्सर उन्हें बिगड़ा हुआ ही कहते है क्योंकि दुनिया अक्सर आजादी को बिगड़ जाने का नाम देती है और लोग अक्सर उन्हें बिगड़ा हुआ कहते है ।। ................... रिमी श्रीवास्तव