पंख ????❤️ -Poem
मां, मैं इस दुनिया के कायदों में रहकर नही जी पाओगी मुझे चाहिए एक खुला आसमान मैं पिंजड़े में अपने सपनो को कैद कर नही जी पाओगी मां मैं नही सोच पाऊंगी की दुनिया क्या सोचती है मेरे बारे में मैं इन बंधनों में रहकर नही जी पाओगी मुझे फर्क नही पड़ता कौन क्या कहता है मेरे बारे में मां मैं बस अपने पंख फैरा उड़ जाऊंगी मैं इस दुनिया की बंदिसो में नही रह पाओगी मां आसमान मुझे बहुत प्यारा है मैं इन चार दिवारी में अपने सपनो को कैद नही कर पाओगी मां मैं अपने पंख फहरा उड़ जाओगी मां जो तेरे ख्वाब हैं वोभी सच कर दिखाओ गी मां तू डरना मत मैं अपने सपनो के लिए इस दुनिया से भी लड़ जाओगी ना कर पाएगा कोई कैद मेरे सपनो को मां तू देखना मैं अपने पंख फहरा उड़ जाओगी मां देखना मैं अपना आसमान खुद बनाओगी मां मैं हार नही मानोगी कभी भले कई बार गिर जाओगी पर मां देखना एक दिन मैं अपने पंख फहरा उड़ जाओगी मैं अपने पंख फहरा उड़ जाओगी ........Rimi Srivastava