राम गाथा -Poem
अयोध्या राज्य मे जन्मे महापुरुष की ये गाथा है, जिनका नाम लेकर प्राणी मोक्ष प्राप्त कर जाता है, अब उनकी कथा सुनाने का अवसर मैने पाया है, ऐसे महापुरुष का जीवन हमे त्याग समर्पण सिखलाता है, राजा दशरथ के बड़े पुत्र श्री राम की ये गाथा है, उनसा बलिदानी, सज्जन, कृपालु, दयालु नही कोई जन्मा है, उनके मुख पर सूर्य सा तेज उनका व्यक्तित्व झलकता है, हाथ में धनुष बाण है उनके जो शोभा उनकी बढ़ाता है, भरी सभा में शिवधनुष तोड़कर सीता से ब्याह रचाया था, एक आदेश पर पिता की राज्य त्याग कर दिखाया था,राज्य त्याग कर उन्होंने कर्तव्य पालन कर बतलाया था, कर्तव्य पालन मे उन्होंने चौदह वर्ष का वनवास बिताया था, वनवास मे सीता की वांछा पर स्वर्ण हिरण लेने जाते है, उसी समय रावण आ सीता को हर ले जाता है, अपनी सीता वापस लाने समुद्रसेतु निर्माण कराया था, रावण को मार कर उन्होंने सत्य का पाठ पढाया था, अपना सारा जीवन उन्होंने धर्मकार्य मे लगाया था, कर्तव्य ऊपर रख उन्होंने पत्नी त्याग कर दिखाया था, उनकी प्रशंसा करने को मेरे शब्द कम पड जाते है, ऐसे मेरे प्रभु श्री राम की करुणा मय ये गाथा है । निकिता????