वजुद (Motivational) - Poem by dhanashri kaje - Spenowr
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Dhanashri Kaje

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Writer

Maharashtra, India

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वजुद

अपने वजुद को पहचानो हार तुम कभी ना मानो मोसम तो आते जाते रेहेते है पर तुम्हे चलते जाना है अपने कदम बढाते रहो अपनी मंजिलो को पाते रहो मुश्कीलोंकी परवा कभी मत करना खुद पे इतना विश्वास रखो तुम ये सारा आकाश तुम्हारा है तुम्हे बस चलते जाना है
By: ©Dhanashri Kaje
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वजुद -Poem

अपने वजुद को पहचानो हार तुम कभी ना मानो मोसम तो आते जाते रेहेते है पर तुम्हे चलते जाना है अपने कदम बढाते रहो अपनी मंजिलो को पाते रहो मुश्कीलोंकी परवा कभी मत करना खुद पे इतना विश्वास रखो तुम ये सारा आकाश तुम्हारा है तुम्हे बस चलते जाना है

you never lose believe in yourself all the time you come but you have to keep walking keep moving forward keep finding your destination never do any difficulties believe in yourself so much you all this sky is yours. You just have to keep going.

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