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शहीद भगत सिंह
आया था वो चीर धरा को लिए अनेकों सपने, मानी न कोई जाति ,धर्म कह दिया ,हो मेरे अपने | खाकर कसम भारत माता की लिया यही संकल्प, कि खुद भागेंगे गोरे न छोड़ूंगा कोई विकल्प| कर जवानी,देश हवाले खुद को झोंका ऐसा, किया आंदोलन,भड़क उठी जनता में
By: © Avinash Kumar Sah
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Poem : शहीद भगत सिंह
Poem Submited By: Avinash Kumar Sah
Poem : You Smiled, You Spoke
Poem Submited By: Raghuram Sethi
Poem : Sifar Mein Kho Gayien.......
Poem Submited By: Wasim Khan
Poem : Be The Main Character
Poem Submited By: Ishika Gupta
कुछ कहता है कवि मन
कुछ कहता है कवि मन, घनघोर घटाएं छाई नभ में, अश्रुधारा में पिघला है तन, मन से पांखें निकली है, किरणों में रहता कवि मन। छिटककर तितली किरणों से ही????, बागों में जा मिलती है, कण कण में जो फूल खिले तो, उड़ता है कवि मन। -शिप्रा
By: © Shipra Jha