रंगो की फरियाद -Poem
रंगो की ऐक फरियाद, सुन ले सखा, बंघु, भाई जान मेरे यार, प्रकृति की हम रचना सब के लिये समान, फिर कैसे बाटा, हमको तूने ऐ नादान, मेरा लाल तेरा हरा कब तक रखोगे ये गुमान , भारत, विभिन्न संस्कृति से हराभरा ये चमन , "सागर,प्रेम-अमन पर नाकोई मजहब है महान