रंगो की फरियाद(Thoughtful) - Poem by Rishabh Sagar - Spenowr
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Rishabh Sagar

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Gujarat, India

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रंगो की फरियाद

रंगो की ऐक फरियाद, सुन ले सखा, बंघु, भाई जान मेरे यार, प्रकृति की हम रचना सब के लिये समान, फिर कैसे बाटा, हमको तूने ऐ नादान, मेरा लाल तेरा हरा कब तक रखोगे ये गुमान , भारत, विभिन्न संस्कृति से हराभरा ये चमन , "सागर,प्रेम-अमन पर नाकोई मजहब है महान
By: ©Rishabh Sagar
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रंगो की फरियाद -Poem

रंगो की ऐक फरियाद, सुन ले सखा, बंघु, भाई जान मेरे यार, प्रकृति की हम रचना सब के लिये समान, फिर कैसे बाटा, हमको तूने ऐ नादान, मेरा लाल तेरा हरा कब तक रखोगे ये गुमान , भारत, विभिन्न संस्कृति से हराभरा ये चमन , "सागर,प्रेम-अमन पर नाकोई मजहब है महान



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