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भारत तीर्थ
अग्निवेग का पवित्र प्रवाह हूँ अग्निदेव को समर्पित स्वाहा हूँ विश्वरूप का अविनाशी स्वरूप हूँ विश्वात्मा का अविचल प्रतिरूप हूँ चैतन्य मनुष्य का प्रारब्ध हूँ दैवीय मर्यादा से आबद्ध हूँ पूर्ण हूँ, सम्पूर्ण हूँ पारमेश्वर्य विहिन शूण्य हूँ
By: © Satyam Kushwaha
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Poem : भारत तीर्थ
Poem Submited By: Satyam Kushwaha
अपनी पहचान
दूसरे की अरमानों तले अपनी पहचान मत मिटाओ दूसरों की हुकूमत के आगे अपना सिर मत झुकाओ दूसरों की हसरतें पूरी कबतक करोगे वक्त पे ना जागे तो अंधेरे में गुम हो जाओगे पहचानो खुद को तुम,क्या मकसद है तुम्हारा लोगों की क्या औकात,तुम दुनिया बदल के दिखाओगे
By: © Nitesh Kumar Sethi
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Poem : अपनी पहचान
Poem Submited By: Nitesh Kumar Sethi
मेरा प्यारा भारत
मेरा भारत हमेशा महान जिसकी रगो में बहता सदा ज्ञान और विज्ञान दुश्मन ने हमेशा कोशिश की मिटाने की नामो निशान जितना तोड़ने की कोशिश करलो,फैलता रहेगा इसकी शान सबको करता हूं आव्हान,सेवा करो इसकी जबतक है शरीर में प्राण,कर्म ऐसा करो कि बढ़ता रहे इसकी सम्मान
By: © Nitesh Kumar Sethi
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Poem : मेरा प्यारा भारत
Poem Submited By: Nitesh Kumar Sethi
Poem : Independence
Poem Submited By: Razi Tahir
Poem : Independence
Poem Submited By: Razi Tahir
Poem : Independence
Poem Submited By: Razi Tahir
Takleefe..!
Is duniya mai takleefe kaha kam hai..? Is duniya mai takleefe kaha kam hai..? Gum toh iss baat kaha hai unn takleefo se bhi abb nassa sa ho gaya hai... Na ho toh lagta hi nahi zindagi chal rahi hai... Ho toh lagta hai bhai jindagi ase kyun hi chal rahi hai..!!
By: © Devendra Singh