अपनी पहचान(Wisdom) - Poem by NITESH KUMAR SETHI - Spenowr
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Nitesh Kumar Sethi

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Odisha, India

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अपनी पहचान

दूसरे की अरमानों तले अपनी पहचान मत मिटाओ दूसरों की हुकूमत के आगे अपना सिर मत झुकाओ दूसरों की हसरतें पूरी कबतक करोगे वक्त पे ना जागे तो अंधेरे में गुम हो जाओगे पहचानो खुद को तुम,क्या मकसद है तुम्हारा लोगों की क्या औकात,तुम दुनिया बदल के दिखाओगे
By: ©Nitesh Kumar Sethi
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अपनी पहचान -Poem

दूसरे की अरमानों तले अपनी पहचान मत मिटाओ दूसरों की हुकूमत के आगे अपना सिर मत झुकाओ दूसरों की हसरतें पूरी कबतक करोगे वक्त पे ना जागे तो अंधेरे में गुम हो जाओगे पहचानो खुद को तुम,क्या मकसद है तुम्हारा लोगों की क्या औकात,तुम दुनिया बदल के दिखाओगे

under others desires don t bow your head to the rule of others. When you don t wake up on time you will be lost in the dark. Identify yourself what is the purpose of your people what reason are your people you will show by changing the world.

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